Tuesday 18 December 2018

मुख़्तसर ज़िन्दगी

बात उन दिनों की है जब टेलीफोन या मोबाइल नहीं हुआ करते थे। लोग चिट्ठियों का प्रयोग किया करते थे। उन्हीं दिनों में काजल की मुलाकात प्रेम से हुई। प्रेम उसके घर के बगल वाले घर में किरायेदार था। स्नातक करने के लिए इलाहाबाद के नैनी से बनारस आया था और वहीं की खूबसूरती या यूँ कहें कि काजल की खूबसूरती में इतना खो गया था कि सब जग वो भूल चुका था। धीरे धीरे काजल भी उसकी तरफ खिंचने लगी। प्रेम और काजल धीरे धीरे एक दूसरे को चाहने लगे थे। इज़हार नहीं कर सकते थे क्योंकि डरते थे दुनिया वालों से। उनकी नज़रों से बचना तो वैसे भी नामुमकिन ही था।
एक दिन काजल अपने छत पर खड़ी बाल को सूखा रही थी और मंत्रमुग्ध हो हिम्मत जुटा कर प्रेम ने काजल से बोल दिया "गंगा घाट पर मिलना शाम 4 बजे।" और फिर वहां से चला गया
पहले तो काजल घबरा गई क्योंकि ये सब नया नया था इसके लिए। कुछ समझ न पा रही थी क्या करे क्या नहीं।
इसी उधेड़बुन में वो अपने कमरे में वापस आयी और सोचने लगी कि शाम को क्या पहने और "उससे बात कैसे करेगी? अगर किसी ने देख लिया तो?? अगर भइया ने देख लिया तो हे भगवान! तब क्या होगा।" इसी तरह के सवालों को सोचते हुए उसने एक गुलाबी रंग का सूट निकाला जिस पर उसने छोटे वाले झुमके पहनने को निकाला और इंतज़ार करने लगी 4 बजने का।
साढ़े तीन बजते ही वो तैयार हुई और तुरंत नीचे आकर अपनी माँ को बताया "माँ मैं दोस्तों के साथ गंगा घाट जा रही 6 बजे तक लौट आऊंगी।" कहकर वो वहां से चली गयी।
गंगा घाट पहुँच कर देखा तो प्रेम पहले से ही उसका वहां इंतज़ार कर रहा था। उसको देख कर वो घबरा गई लेकिन मरता क्या न करता।
धीरे धीरे उसने अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाये।
"प्रेम!" काजल ने हौले से कहा।
"मुझे पता था काजल तुम ज़रूर आओगी। देखो न मैं तुमसे पहले ही आ गया।। काजल कुछ बातें करनी थी तुमसे।" उसकी तरफ देखते हुए प्रेम ने कहा।
"हाँ कहिये न क्या कहना है?" काजल ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।
"काजल पता नहीं क्यों इन दिनों मैं तुम में इतना खो गया हूँ कि खुद को ही भूल बैठा हूँ। पता नहीं क्या हो गया है मुझे। बस दिल चाहता है कि तुम्हें ही शाम-ओ-सुबह देखता रहूं। पता है आज तक मैंने किसी लड़की की तरफ नहीं देखा पर तुम्हें देखते ही ऐसा महसूस हुआ कि शायद तुम्हीं हो जिसकी खूबसूरती की चर्चा पूरी दुनिया में है पर बदनाम न हो जाओ तुम इसीलिए उसे बनारस का नाम दे दिया गया।। काजल तुम्हें पता है जब भी तुम्हें सोचता हूँ तो लगता है जैसे... जैसे किसी दूसरी दुनिया में ही खो गया हूँ मैं।। आई लव यू काजल। आई लव यू सो मच।।" अपने दिल की बात को ज़ाहिर करते हुए भावुक सा हुआ प्रेम बोला।
"इतनी सारी बातें इतनी सारी मोहब्बत वो भी मेरे लिए। प्रेम मैं इस काबिल नहीं हूँ शायद। मत कीजिये इतना प्यार कहीं ऐसा न हो कि आप बाद में आपको पछताना पड़े।" काजल ने चिंता जताते हुए कहा।
"नहीं काजल ऐसा नहीं होगा। मुझे पता है मेरे लिए तुमसे योग्य कोई नहीं है। क्योंकि तुम एक बेहतरीन इंसान हो जो लोगों की परवाह करती है खुद का न सोच दूसरों का भला करती है भला ऐसी लड़की से कोई क्यों नहीं प्यार करेगा।। काजल मत सोचो ज्यादा बस जो दिल में है बोल दो। बोलो काजल बोलो।" प्रेम ने उसे उत्साहित करते हुए कहा।।
"हाँ प्रेम मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूँ। शायद दीन दुनिया से डर के कुछ नहीं बोल रही थी पर अब बस और नहीं।। आई लव यू टू प्रेम।" काजल उसको गले लगाते हुए बोली।
"काजल तुम्हें कुछ बताना था।" प्रेम ने उसे सामने लाते हुए कहा।।
"हाँ कहिये न।" काजल ने प्रेम की आँखों में झांकते हुए कहा।
"व्.. व्.. वो मैं..." हाँ बोलिये न।" काजल ने प्रेम की बातों को काटते हुए कहा।।
"वो काजल मैं अगले महीने नैनी जा रहा हूँ हमेशा के लिए। मेरी स्नातक की पढाई ख़त्म हो रही है तो घर से भी चिट्टी आ रही है। पर मैं वादा करता हूँ वहाँ जाकर माँ पापा से हमारे रिश्ते की बात करूंगा। और तुम्हें खत भी लिखा करूँगा।। तुम उसका उत्तर दोगी न बोलो दोगी न?" प्रेम ने मन की बात बोलते हुए पूछा।
"हाँ हाँ ज़रूर दूंगी आप बस वहां जाकर मुझे भूल मत जाईयेगा।" काजल उदास होते हुए बोली।
"नहीं कभी नहीं।" काजल को प्रेम गले लगाते हुए बोला।
"अच्छा चलो अब घर चलते हैं माँ परेशान हो रही होंगी।" काजल ने घर की ओर मुड़ते हुए कहा।
"अच्छा सुनो रात को छत पर आना तुम्हें देख कर सोने की आदत हो गयी है।" प्रेम ने साथ चलते हुए कहा।
"ज़रूर।" मुस्कुराते हुए काजल ने कहा।
ऐसे ही मिलते जुलते बात करते एक महीना बीत गया।।और प्रेम के वापस जाने का वक़्त आ गया। अब दोनों ही उदास थे, होते भी क्यों न आखिर दोनों एक दूसरे को आखिरी बार देख रहे थे इसके बाद न जाने कब मिलने का मौका मिले।।
प्रेम अपने घर नैनी पहुँच गया। पर सवाल ये था कि वो काजल को अपनी खैरियत दे तो कैसे। उस वक़्त फ़ोन का जमाना तो था नहीं तो बस उसने उठाई चिट्ठी और लिख डाला खत काजल के नाम का।
प्रिय काजल, उम्मीद है कि तुम खैरियत से हो। मैं भी खैरियत से यहाँ पहुँच गया बस तुम्हारी याद आती है हर वक़्त। लगता है जैसे जिस्म से जान को अलग कर दिया गया हो। तुम परेशान मत होना मैं जल्द ही डोली लेकर आऊंगा और तुम्हें यहीं अपने पास ले आऊंगा। खत का जवाब जरूर देना वरना मुझे लगेगा कि तुम नाराज़ हो।।
तुम्हारे खत के इंतज़ार में।
तुम्हारा प्रेम।।
खत मिलते ही मानो काजल दूसरी दुनिया में ही उड़ गई हो। उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब उसने भी पेपर पेन उठाया और बस शुरू हो गयी।
प्रिय प्रेम,
खत मिला तुम्हारा सुनकर अच्छा लगा कि तुम ठीक हो। यहाँ मेरा भी वही हाल है रोज़ छत पर जाती हूँ तो ये लगता है कि तुम अभी बाहर आओगे और कहोगे "कितना खूबसूरत लग रहा है न "बनारस"।" पर ऐसा नहीं होता है तो मन उदास हो जाता है। जल्दी ही आना मुझे ले जाने के लिए क्योंकि अब माँ और भाई भी मेरे लिए लड़का देख रहे हैं। और बात हो रही है मेरी शादी की।।
तुम्हें मेरा खूब सारा प्यार।
तुम्हारी काजल।।
ऐसे करते करते 6 महीने बीत गए। आखिर कर बकरी अपनी कब तक खैर मनाएगी पड़ ही गयी चिट्ठी भाई के हाथ।
"कौन है वो लड़का बुलाओ उसे यहाँ पर" भाई ने गुस्से में कहा।
"भाइया वो नैनी में रहता है और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। अपने घर के बगल वाले घर में जो प्रेम रहता था न वही है।" डरते डरते काजल ने सब बता दिया।
"अच्छा तो बुलाओ उसे घर पर हमें भी देखना है उसे" माँ ने नम्र स्वर में कहा।
"ठीक है तो मैं खत लिख कर बुलाता हूँ उसे और उसके माँ बाप को भी। लड़का पसंद आया तो लगे हाथ शादी की भी बात कर लेंगे। वैसे बात चीत में तो अच्छा था वो तो पढ़ने में भी होशियार था। स्नातक में उसका नम्बर काफी अच्छा आया था गुरु जी बता रहे थे।" भाई ने बताया।
भाई ने फिर खत लिख कर उसे आने को कहा। कुछ दिन बाद जब खत का उत्तर आया तो उस में लिखा था "भइया अभी माँ बाबूजी नहीं आ सकते। गेहूँ काटने का वक़्त आ गया है तो वो बाद में आकर मिल लेंगे। आप कहें तो सिर्फ हम आ जाएं?"
"ठीक है तुम ही आ जाओ। बाकि बात हम घर आकर तुम्हारे पिता जी से कर लेंगे" भइया ने उत्तर दिया।
कुछ दिन बाद खत मिलते ही प्रेम वहां से बनारस के लिए रवाना हो गया।
पर जिस ट्रैन से वो आ रहा था वो दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और... और प्रेम की मौत हो गयी।।
ये खबर जब अख़बार के द्वारा काजल तक पहुँची तो उसे सदमा लग गया और वो पागल सी हो गयी थी। उसका इलाज मुमकिन न हुआ और उसकी भी मौत हो गयी।
और इस तरह से वो इस दुनिया में न सही दूसरी दुनिया में मिल ही गये।।

9 comments:

  1. बहोत खूबसूरत प्रेम कहानी जो अपने अंजाम तक नही पहुच पाई ....खूबसूरती से हर किरदार के एहसास की बयानी की गई है ....बस इस कहानी के लिए एक शब्द ...लाजवाब

    ReplyDelete
    Replies
    1. Shukriya ma'am... It means a lot❤️❤️

      Delete
  2. Is kajal an imaginary, dii
    And good one keep showing up

    ReplyDelete
  3. Very thought full story... Lovely dear

    ReplyDelete

एक ऐसा मंदिर जहां माता सीता ने किया था तप, मांगा था यह वरदान...

कानपुर के बिरहाना रोड पे स्थित एक मंदिर है जिसका नाम है तपेश्वरी मंदिर। इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भक्त यहाँ पर सच्चे दिल ...

शायद ऐसा होता तो कितना अच्छा होता।