कानपुर के बिरहाना रोड पे स्थित एक मंदिर है जिसका नाम है तपेश्वरी मंदिर। इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भक्त यहाँ पर सच्चे दिल से कुछ माँगता है माँ उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। बताया जाता है कि यहाँ पर अखंड ज्योति जलाने से माता प्रसन्न होती है। आईए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी कई सारी मान्यताऐं :
इतिहास –
लोगों का कहना है कि
वनवास से आने से बाद जब श्री राम ने धोबी की ताने भरी बातें सुन ली थीं तब माता
सीता ने राम जी से उनका त्याग करने को कहा तब लक्षण जी ने माता सीता को वाल्मीकि
के आश्रम के पास छोड़ दिया था, वहीं से माता सीता ने तप करने के लिए तपेश्वरी मंदिर
का रुख किया और वहीं पर माँ भवानी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने तप करना शुरू
किया और उनसे पुत्र की मांग की। यहां उनके तप से प्रसन्न होकर माता तपेश्वरी ने
दर्शन दिया और यहीं पर माता की चार मूर्तियों की स्थापना भी है – कमला, विमला,
सरस्वती और स्वयं माता सीता।
रहस्य –
इस मंदिर पर रहस्य आज भी
बरकरार है। क्योंकि ये कोई भी नहीं जानता कि इन में से माता सीता की कौन सी मूर्ति
है। कमला, विमला, सरस्वती ये तीन वो देवियाँ हैं जिन्होंने माता सीता के साथ तप
किया था और वरदान प्राप्त किया था। इसीलिए सीता के साथ इन तीनों की भी मूर्ति यहाँ
पर विराजमान है।
मान्यता –
मान्यता है कि माता सीता
ने पहले पुत्र प्राप्ति के लिए यहाँ तप किया था उसके बाद वाल्मीकि आश्रम में रहते
हुए उन्होंने इसी मंदिर में आकर लव-कुश का मुंडन करवाया था। तभी से मान्यता है कि
ज्यादातर लोग इसी मंदिर के पीछे अपने बच्चों का मुंडन करवाते हैं और कर्णछेदन भी
करवाते हैं। साथ ही माता का आशीर्वाद लेकर बच्चों का कुशल मंगल मांगते हैं।
मंदिर जाने का रास्ता –
इस मंदिर में जाने के लिए
आपको सबसे पहले अपने शहर के रेलवे स्टेशन से कानपुर सेंट्रल के लिए ट्रेन लीजिए चाहे
तो आप अपनी गाड़ी से भी आ सकते हैं। उसके बाद आप बिरहाना रोड के लिए गाड़ी कीजिए और तपेश्वरी
मंदिर के लिए बुक कीजिए उसके बाद आप यहां आकर माता के दर्शन कीजिए और खूब सारा आशीर्वाद
मांगिए।
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