Sunday 3 May 2020

तुम्हारा खत


सुनो, आज काफी समय बाद तुम्हें खत लिख रही। मुझे पता भी नहीं कि पहले के खत तुम्हें मिले भी या नहीं। तुमने उन्हें पढ़ा भी या नहीं। मालूम है तुमने मना किया था खत लिखने को लेकिन आज बहुत हिम्मत करके फिर से लिख रही हूँ। सोचा तुम्हें फिक्र होगी मेरी शायद इसीलिये लिख रही।
तुम्हें वो बगल वाली जमुना काकी याद है? आज वो आयी थी घर पर मेरे लिए रिश्ता लेकर सबको ये रिश्ता बहुत पसंद आया पर मैंने ही मना कर दिया। करती भी क्यों न आखिर तुम्हें वचन जो दिया था हमेशा तुम्हारी रहने का। पता है काकी बता रही थीं लड़का समृद्घ परिवार का है रहन सहन सब अपने घर जैसा है। दूर बनारस में नौकरी करता है और देखने में सुन्दर सजीला है। कद काठी भी अच्छी है और कमाता भी अच्छा है। 
लेकिन पता नहीं क्यों मुझे पसंद नहीं आया। सब कहते रहे कि तुम नहीं आओगे बढ़ जाओ आगे अपनी जिंदगी में। पर मैंने ही मना कर दिया। दिल में एक उम्मीद का दिया है मेरे जो तुम्हारे आने की राह देख रहा है। 
पता है मुझे तुम भी यही कहोगे कि मैं अब तुम्हें भूल कर आगे बढ़ जाऊँ। लेकिन ये दिल नहीं मानता। अच्छा सुनो इन सब के चक्कर में तुम्हे एक बात बताना तो भूल ही गयी कि तुम पिता बनने वाले हो। इस घर में एक किलकारी गूंजने वाली है। मुझे इतना तो पता नहीं कि वो बेटा है या बेटी पर जो भी हो उसे भी मैं एक सैनिक बनाऊंगी और तुम्हारे शौर्य और शहीद होने की गाथा उनको हर रोज सुनाऊँगी। बताऊँगी कि तुमने किस तरह उन आतंकियों का सफाया किया और फिर शहीद होकर अमर हो गए।
मुझे उम्मीद है कि तुम वहां कुशल से होगे यहाँ की चिंता मत करना मैं हूँ न सब संभाल लुंगी।
तुम्हारी अर्धांगिनी
विशाखा

8 comments:

  1. Sach me aankhon me aashu aagayi. Good job done Anu. Carry on

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  2. 😢😢😢😢.
    Bahut he behtreen..🙏🙏

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  3. Bohot hi marmik kahani
    Well done Annu❤️

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  4. Beautifully written. Dil chuu liyaa. ❤️

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  5. Behtareen tareeke se likha h,,,,,last line tak connected feel hua

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