Wednesday 3 April 2024

मुम्बई की एक शाम - 1

शाम के वक़्त मरीन ड्राइव का नज़ारा ही कुछ अलग होता है न। सनसेट के वक़्त सूरज की लालिमा आसमान में बिखरी होती है और ऐसा लगता है जैसे सूरज और धरती का मिलन हो रहा हो। उस शाम मन थोड़ा उदास था तो सोचा समुद्र के किनारे ठंडी हवा के झोंके से मन हल्का कर लूँ। मेरे आस पास लोग हंसी ठहाके के साथ मस्ती कर रहे थे। तभी नज़र एक दोस्तों के ग्रुप पर पड़ी। हंसी ठहाकों के साथ वो लोग एक दूसरे को छेड़ रहे थे। उस ग्रुप में शायद एक कपल भी थे जिनको वो लोग तंग कर रहे थे। मेरी नज़र उनपर ही ठहर गयी थी।

मेरा मन परेशान था लेकिन क्यों? आखिर कमी ही क्या थी मेरे पास। इतनी केयरिंग फॅमिली थी, अच्छी नौकरी थी। सब के बीच मेरा नाम भी काफी था और डर भी। डर इसलिये क्योंकि मुझे काम के वक़्त कोई मस्ती मज़ाक पसन्द नहीं था। खैर जो भी था आज तो कुछ अलग ही दुनिया में ख़ो गयी थी मैं।

मुझे याद आ रहा था मेरा शहर, मेरी दुनिया, मेरे लोग। जिसे... जिसे उस एक हादसे ने मुझसे दूर कर दिया था। याद आ रहा था वो खौफनाक मंज़र जब उस आदमी ने मेरे वजूद को कुचलने की कोशिश की थी। कितनी मुश्किल से भागी थी मैं। भागते भागते न जाने कब इस दुनिया में आ गयी। जहाँ कोई मेरा होकर भी मेरा है ही नहीं। नहीं ऐसा नहीं है कि मैं इस शहर की अपना नहीं पाई हूँ या ये शहर मेरा नहीं है। हम दोनों ही अब एक दूसरे के हो चुके हैं। पर फिर भी कुछ खाली खाली सा है।

तभी हंसी की आवाज़ से मैं फिर चौंकी और अपनी सोच से बाहर आ गयी। "रीना तुम्हें मुम्बई आये इतने साल हो गए। और पिछले 2 साल से हम लिव इन में हैं तो क्या अब हमें कुछ सोचना नहीं चाहिए? तुम्हें नहीं लगता अब हमें अपने पेरेंट्स से हमारे बारे में बात करनी चाहिए?" उन दोस्तों के ग्रुप में बैठे कपल ने कहा। उनकी ये बात सुनकर मुझे शिरीन की याद आ गयी।

हाँ वही शीरीन जो मेरे साथ कॉलेज में था जिसके पीछे पूरा कॉलेज पागल था और वो पगला मेरे पीछे। मुझे भी उसका साथ पसंद था। अक्सर ही हम कॉलेज बँक करके मूवी शॉपिंग या घूमने जाते थे। नहीं नहीं हम दोनों अकेले नही जाते थे हमारे साथ हमारा पूरा ग्रुप होता था। जिसमें लगभग सभी कपल ही थे। सिर्फ हमें छोड़ कर। क्योंकि न तो कभी उसने अपने दिल की बात की न ही मैंने पहल की। आज अनायास ही उसकी याद आ गई। पता नहीं कहाँ होगा वो उसने शादी की होगी या नहीं।

उसने भी मुझे ऐसे ही शादी के लिए प्रपोज किया था और कहा था - काया मुझे तुमसे शादी करनी है। अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ बितानी है, कई सारी memories बनानी है। बोलो करोगी तुम मुझसे शादी? बोलो न काया ? करोगी न ?

शीरीन... मुझे.. मुझे.. सोचने का वक़्त दो घर पर बात करने दो तब कुछ कह सकती हूँ। इतना कह कर मैं वहाँ से चली आई। उसके बाद क्या हुआ वो मैं याद भी नहीं करना चाहती। किस तरह से उस आदमी ने मेरे वजूद को खत्म किया वो भी याद नहीं करना चाहती मैं।

*मेरा फोन बज रहा है शायद।*

'हैलो मम्मा, कहाँ हो आप? मुझे बहुत डर लग रहा है जल्दी आ जाओ न। ' ये आवाज कियारा की थी मेरी 5 साल की बेटी की।

' क्यों बेटा क्या हुआ ? आरती आंटी चली गई क्या? '

' नहीं मम्मा , वो अभी हैं लेकिन लाइट चली गई है और मुझे डर लग रहा है जल्दी आओ न।। ’

' अच्छा ठीक है बेटा , तुम परेशान मत हो मैं आ रही हूँ। '

‘आंटी मम्मा आ रही है सब कुछ रेडी है न?’ कियारा ने कहा।

‘हाँ बेटा सब रेडी है आप जाओ जल्दी से रेडी हो जाओ। मैंने कपड़े निकाल के रख दिए हैं।’ आरती ने कहा।

दरअसल आज काया का जन्मदिन था जिसे वो कभी मनाना पसंद नहीं करती थी। लेकिन आज कियारा ने भी जिद पकड़ ली थी कि वो इस दिन को आज खास बना कर ही रहेगी। आखिर ये उसकी माँ का दिन था। इस दिन के लिए वो कई दिनों से तैयारियां कर रही थी। इसीलिए आज उनकी पसंद का खाना सजावट सब करी थी कियारा ने।

ये तो काया का हर साल का था वो अपने जन्मदिन के दिन हर बार मरीन ड्राइव या जुहू बीच जाकर बैठ जाती थी। कहती थी, सुकून है इन लहरों की आवाज में। शांति सी मिलती है इनको सुनकर। इसीलिए हर बार यहीं आकर बैठ जाती हूँ।

‘आज तो मम्मा खुश हो जाएंगी’, सोचते हुए कियारा तैयार होने चली गई।


पूरे घर को रेड small लाइट से सजा दिया था उसने। हर जगह दोनों की कई सारी फ़ोटोज़ निकलवा के छोटे छोटे से क्लिप्स से पिन कर दिया था। उसको यह idea facebook और गूगल करने पर आया था। उसने एक केक भी मँगवाया था जिस पर लिखा था ‘हैप्पी बर्थडे माई ब्यूटीफुल माँ।’ इनके किनारों पर उसने फूलों की पंखुड़ियाँ भी बिछाई थीं। पिछले न जाने कितने दिनों से वो इन सब की तैयारी कर रही थी।

गेट का दरवाजा खुलते ही काया ने अंदर एकदम अंधेरा पाया। उसने सोचा लगता है अब तक लाइट नहीं आई। फिर उसने कियारा को आवाज दी, ‘किया बेटा कहाँ है तू? देख तेरी माँ आ गई है।’

इसी के साथ कियारा ने पीछे से आकर लाइट ऑन कर दी साथ ही फैन भी जिस में से फूलों की बारिश काया पर होने लगी। एक बार को काया चौंक गई। और इसी के साथ सब एक साथ चिल्लाए ‘happy Birthday’।

कियारा ने फोन करके काया के ऑफिस और फ़्रेंड्स को भी बुला लिया था। जिस में उसके पुराने शहर के दोस्त भी शामिल थे। और उन्हीं में था शीरीन। जिसको देख कर काया हैरान रह गई। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे क्या बोले? लेकिन हिम्मत जुटा के बोल उठी, ‘किया ये सब क्या है और तुम मेरे पुराने दोस्तों को कैसे जानती हो?’

‘मम्मा मैंने आपके फोन में आपके दोस्तों की फोटो देखी थी और समझ गई थी कि आप आज भी इन लोगों को बहुत मिस करती हो तो मैंने चुपके से सिया मासी को फोन कर दिया और उनसे सबका नंबर लेकर आपको सप्राइज़ दे दिया। तो बताओ कैसा लगा मेरा सप्राइज़?’ एक आँख बंद करते हुए किया ने पूछा।

‘अरे अरे बस बस अब तुम बातें ही करते रहोगे या केक कट करके हमें भी बात करने का मौका दोगे?’ उन दोनों को बीच में ही रोकते हुए सिया बोली।

'हाँ हाँ मासी चलो हम लोग केक काटते हैं लेकिन मम्मा उसके पहले जाकर आप तैयार हो जाओ।' अपनी माँ को भेजते हुए कियारा ने कहा।

अब इसके आगे क्या हुआ ये जानने के लिए जुड़े रहिए मेरे ब्लॉग के साथ। 

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